सरकार का मास्टर प्लान 2043 और गोचर भूमि खतरे में
किस प्रकार सरकार के नए मास्टर प्लान में गोचर भूमि से छेड़छाड़ का रास्ता खोला गया है? राजस्थान सरकार द्वारा जारी मास्टर प्लान 2043 के दस्तावेज़ में स्पष्ट रूप से यह प्रावधान किया गया है कि शहरी विकास प्राधिकरण भविष्य में भूमि उपयोग (Land Use) में बदलाव कर सकता है। इसमें आवासीय, औद्योगिक, व्यावसायिक, सार्वजनिक उपयोग आदि के लिए क्षेत्र तय किए गए हैं, लेकिन आवश्यकता पड़ने पर इन ज़ोन को परिवर्तित करने का अधिकार प्राधिकरण को दिया गया है।
इनका घर मत छिनो
यानी, भले ही किसी भूमि को अभी “आरक्षित गोचर भूमि” या “खुली भूमि” के रूप में दर्शाया गया हो, आने वाले समय में उस भूमि को सार्वजनिक हित या अन्य प्रयोजनों के नाम पर बदला जा सकता है। इससे गोचर भूमि की स्थायी सुरक्षा पर प्रश्नचिह्न खड़ा होता है।
मास्टर प्लान की प्रमुख बातें:
- भूमि उपयोग परिवर्तन का अधिकार प्राधिकरण और राज्य सरकार दोनों के पास सुरक्षित है।
- "Open Land" और "Animal Use" जैसे वर्गों का उल्लेख है, लेकिन “गोचर भूमि” को अलग से स्पष्ट रूप से सुरक्षित नहीं किया गया है।
- भविष्य में अधिसूचनाओं (Notifications) के माध्यम से भूमि उपयोग बदला जा सकेगा।
इसका असर:
गोचर भूमि गाँवों और शहरों में पशुओं के चरने और पर्यावरणीय संतुलन के लिए अनिवार्य है। लेकिन मास्टर प्लान की इस व्यवस्था से गोचर भूमि पर अतिक्रमण और उसका व्यावसायिक उपयोग बढ़ने की संभावना है।
बीकानेर में इस मुद्दे को लेकर जनता का आक्रोश तेज हो चुका है।
➡ 19 सितंबर को बीकानेर कलेक्टर ऑफिस के बाहर विशाल जन आंदोलन “गोचर बचाओ” आयोजित किया जाएगा।
सांस्कृतिक पहल: “गोचर बचाओं, प्राण बचाओं” कला यात्रा
लोकनायक शहीद भगत सिंह संस्थान के तत्वावधान में सोमवार, 15 सितंबर से तीन दिवसीय कला यात्रा “गोचर बचाओं, प्राण बचाओं” की शुरुआत हो चुका है। यह अनोखा आयोजन बीकानेर विकास प्राधिकरण द्वारा नथानिया, गंगाशहर, भीनाशहर, देशनोक सहित 188 गोचर भूमि को कमर्शियल और आवासीय विकास के लिए हटाने के आदेशों के विरोध में किया जा रहा है।
इसका शुभारंभ लक्ष्मीनाथ जी के दर्शन के बाद मोहता चौक से सुबह 10 बजे हुआ। इसमें वरिष्ठ चित्रकार, नाटककार और संगीतकार शामिल हुए।
तीन दिनों तक कलाकार स्लोगन, पेंटिंग, व्यंग्य चित्र और आर्ट इंस्टॉलेशन के जरिये गोचर और औरण के महत्व को रेखांकित किया। रास्ते में मोहता चौक, बारह गुवाड़, कोचर का चौक, सुनारों की गवार, जस्सूसर गेट, नथूसर गेट, कोटगेट और केईम रोड से होते हुए यात्रा अंतिम दिन 19 सितंबर को जिला कलेक्टर कार्यालय पहुँचेगी।
यात्रा के अंतिम दिन “गौ माता का ज्ञापन” शीर्षक आर्ट इंस्टॉलेशन के जरिए जिला कलेक्टर व बीडीए आयुक्त को ज्ञापन और आपत्ति पत्र सौंपे जाएंगे। आयोजकों का कहना है कि यह सिर्फ विरोध नहीं, बल्कि आमजन को गोचर भूमि के संरक्षण के महत्व से अवगत कराने और उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने का सांस्कृतिक प्रयास है।
विशेष नोट :- बहुत से लोगों को अभी तक यह पुख्ता जानकारी नहीं है कि क्या आदेश पारित हुए है, और उन आदेशो से भविष्य मे गोचर भूमि पर क्या प्रभाव पड़ सकता है, इसी वजह से नीचे "सरकारी दस्तावेज़" देखें बटन पर क्लिक कर आप पूरा आदेश देखकर समझ सकते हो।
👉 अगर आप भी गोचर भूमि को बचाने के पक्षधर हैं तो इस सभी गौभक्तों का सहयोग करें।
"जय गौ माता"
"राधे राधे"
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